शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

लाख दुखों की एक दवा….

ऊँची मुंडेर पर बैठी महारानी साहिबा और उनके द्वारा नियुक्त जनता के प्रधानमंत्री से जनता गुहार लगा रही है. परेशान जनता का मनोरंजन राजकुमार ना ना प्रकार की नौटंकियों से करने की कोशिश कर रहा है. मगर जनता अपनी ही हाँके जा रही है.

हुजूर माई बाप, महँगाई बहुत बढ़ गई है.
खाने को दाना नहीं, अनाज सड़ रहा है.
आपके मंत्री रोज नए भ्रष्टाचार के रिकार्ड स्थापित कर रहे है.
आतंकियों को सजा नहीं हो रही.
देशद्रोही खुले आम देश की अखंडता को ललकार रहे है.
पड़ोसी देश परेशान कर रहे है.
लाल आतंक खून पी रहा है.
अंतहीन सूची….
आपके पास कोई जवाब है?

महारानी ने प्रधानमंत्री की ओर देखा. जनता नाराज है. पूछा, राजकुमार का राजतिलक कैसे होगा? है कोई हल, कोई जवाब?

प्रधानमंत्री ने आदतवश मूंडी हिलाई. है ना हल, है ना जवाब.

हिन्दू आतंकवाद!!!

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