जब माँ का "कलेजा" कटकर अलग हो जाए, थोड़ा-सा रो देना !
जब मातृभूमि-रक्षण विफल हो जाए, थोड़ा-सा रो देना !
जब "कश्यप-तपोभूमि" पर तिरंग-भस्म हो जाए, थोड़ा-सा रो देना !
जब "स्व-धरा" पर विदेशी ध्वज-लग्न हो जाए, थोड़ा-सा रो देना !
जब भारत-भूमि का "मुकुट"-पतन हो जाए, थोड़ा-सा रो देना !
जब सन संतालिस (1947) कल हो जाए, थोड़ा-सा रो देना !
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