कितना रक्त बहाना होगा,अपनी ही इस धरती पर
कितने मंदिर फिर टूटेंगे,अपने इस भारत भू पर
उदासीन बनकर क़ब तक हम,खुद का शोषण देखेंगे
क़ब तक गजनी-बाबर मिलकर भारत माँ को लूटेंगे
रौंद हमारी मातृभूमि को,नंगा नाच दिखायेगा
कब तक कितनी पद्मिनी, अग्नि कुंद में जाएंगी
अपना मान बचने हेतु,क़ब तक अश्रु बहायेंगी
क़ब तक काशी और अयोध्या,हम सब को धिक्कारेंगे
क़ब तक सोमनाथ और मथुरा की छाती पर,गजनी खंजर मारेंगे
कितनी नालान्दाओं में खिलजी,वेद पुराण जलाएंगे
कितना देखेंगे हम तांडव,क़ब तक शीश कटायेंगे
बनायेंगे मंदिर,कसम तुम्हारी राम.....
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